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" मेरी मातृभूमि - देवभूमि "

by Nandita Bhatt, Dehradun, 28 Aug 2022

डाली - डाली फूलों की …  तुझको बुलाये रे मुसाफिर मेरे उत्तराखंड में… 

        धरती पर कुदरत ने अपनी खूबसूरती दुनिया की कुछ चुनिंदा जगहों को ही दी हैं। इसका सफर करने से ऐसा लगता है मानो की आप जन्नत में हों। उत्तराखंड देश की उन  चुनिंदा जगहों में आता है जिसे प्रकृति ने खूब प्राकृतिक सौंदर्य से नवाज़ा है। 

        उत्तराखंड कई धार्मिक स्थानों और पूजा स्थानों का घर है। मेरा नमन है ऐसी मातृभूमि को जहाँ केदार का शिवालय बसा हुआ है। यहाँ आज भी पर्वतों की चोटियों में देवता विराजमान हैं। ये ऐसी पवित्र भूमि है जहाँ तुलसी और गाय को देवता समान मानकर पूजा जाता है। 

पंच बद्री, पंच केदार, पंच प्रयाग यखी छन।।

 

कौन कहता है कि जीते जी स्वर्ग घूम नहीं सकते,

कभी बसंत ऋतु में उत्तराखंड घूम के तो देखिये…

 

कौन कहता है कि गंगा का पानी अब मैला हो चला है, 

कभी गंगोत्री धाम में डुबकी लगाके तो देखिये…

 

कौन कहता है कि कलयुग में अब प्रभु के दर्शन नहीं मिलते, 

कभी गंगोत्री, यमुनोत्री, केदार, बद्री के दर्शन करके तो देखिये…

 

कौन कहता है कि साफ हवा और पानी अब ना रहा,

कभी आकर मेरे गढ़वाल में तो घूमिये… 

 

कौन कहता है कि मीठा खाना अब अच्छा ना रहा,

कभी कुमाऊँ की बाल मिठाई खाके तो देखिये…

 

हम उस मिट्टी के बने हैं जहाँ देवता रहते हैं,

इसलिए मेरी मातृभूमि को देवभूमि भी कहते हैं।।

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